डॉक्टर्स के मुताबिक, पोस्टपार्टम डिप्रेशन बीमारी बच्चे के जन्म के 1-2 हफ्ते बाद महिलाओं में शुरू हो सकती है. ये मां बनने की खुशी छीन लेती है. बच्चे के जन्म के बाद महिला बहुत थकान महसूस करने लगती हैं.
Postpartum Depression : 9 महीने तक अपनी कोख में रखकर बच्चे को जन्म देने वाली मां प्रेगनेंसी के दौरान ही नहीं डिलीवरी के बाद भी कई तरह की समस्याओं से जूझती हैं. इनमें स्ट्रेस और डिप्रेशन भी शामिल है. जिसमें चिड़चिड़ापन, गुस्सा, तनाव और अधूरापन सा महसूस होने लगता है.
बच्चे के जन्म के बाद कुछ महिलाएं डिप्रेशन से गुजरती हैं. इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन (PPD) कहते हैं. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, दुनियाभर में हर 7 में से 1 महिला को पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या हो सकती है. ऐसे में चलिए जानते हैं प्रेगनेंसी के बाद इससे छुटकारा पाने के उपाय…
पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या होता है
पोस्टपार्टम डिप्रेशन गंभीर समस्या है, जो बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद मां को हो सकती है. किसी महिला को अबॉर्शन या मृत बच्चा पैदा होने से इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.
बच्चे को जन्म देने के बाद किसी महिला को अचानक से डिप्रेशन हो सकता है. ये डिलीवरी के पहले, दूसरे और तीसरे महीने में हो सकता है. ऐसे में उनका ध्यान बच्चे से हटने लगता है और उससे इमोशनल कनेक्शन भी खत्म होने लगता है.
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
चिड़चिड़ापन
बात करने का मन न होना
मूड स्विंग होना
बात-बात पर गुस्सा आना
बार-बार रोना आना
किसी काम पर फोकस न कर पाना
दर्द होना या किसी बीमारी का एहसास
सेल्फ कॉन्फिडेंस में कमी
बच्चे से लगाव न हो पाना
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का कारण
फैमिली हिस्ट्री
परिवार या पार्टनर का सपोर्ट न होना
हार्मोनल चेंजेस
इमोशनल चेंज
प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशन
पहले से कोई हेल्थ प्रॉब्लम
पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचने के उपाय
डॉक्टर्स का कहना है कि अगर महिलाएं अलर्ट रहें और समय रहते पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों को पहचा लें तो इसका इलाज समय पर हो सकता है. सही इलाज और काउंसलिंग से एक महीने में इससे छुटकारा पाया जा सकता है. पोर्टपार्टम डिप्रेशन से बचने के लिए अच्छी डाइट, भरपूर नींद लेनी चाहिए. स्ट्रेस होने पर काउंसलर के पास जाना चाहिए, वजन बढ़ने पर घबराने की बजाय डाइटिशियन की मदद लें, परिवार और दोस्तों से मिलकर उनके साथ समय बिताएं.