शीतकालीन सत्र पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “मैं बहुत निराश हूं. हमारे अधिकांश सांसद निराश हैं. मुझे लगता है कि हमारे देश में चर्चा के लिए बहुत सारे बड़े मुद्दे हैं, जिनमें बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि, मणिपुर, संभल हिंसा शामिल है. दुख की बात है कि इस सत्र का अधिकांश हिस्सा व्यवधान में बर्बाद हो गया. हममें से कई लोगों के लिए, संसदीय समितियों में ही एकमात्र रचनात्मक कार्य किया गया, लेकिन मुख्य संसद ने राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य पूरा नहीं किया. मुझे लगता है कि हमने भारत के लोगों को निराश किया है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मेरे विचार से, संसद निश्चित रूप से बहस, चर्चा, असहमति के लिए एक मंच है, यह व्यवधान के लिए नहीं है. मुझे वास्तव में उम्मीद है कि सरकार विपक्ष से संपर्क करेगी और कोई समाधान निकालेगी, ताकि निष्पक्ष तरीके से हम सभी सदन का काम-काज कर सकें. अब बजट सत्र आ रहा है और हमें फरवरी-मार्च में ऐसा न हो ये देखना चाहिए.”
ध्यान भटकाना चाहती है बीजेपी – कुमारी शैलजा
कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने कहा, “कल मकर द्वार पर बीजेपी ने कांग्रेस को रोकने की कोशिश की, जबकि स्पीकर ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि कोई भी सीढ़ियों पर प्रदर्शन न करे, लेकिन बीजेपी के सांसदों ने संसद में प्रवेश करने के दौरान हमारे सांसदों का रास्ता रोकने की कोशिश की… अब वे सभी का ध्यान भटकाना चाहते हैं…”
: राहुल का व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, “…कल राहुल गांधी का जो अहंकार देखने को मिला और हमारे साथी सांसदों के प्रतित उनका रवैया बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. जिस तरह से उन्होंने सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए हंगामा किया और निर्धारित मार्ग पर जाने के बजाय जानबूझकर अपने समर्थकों को साथ लेकर हंगामा किया… यह माफी योग्य नहीं है. तक्या विपक्ष का कोई नेता इस सोच के साथ चल सकता है?…जब उन्हें (राहुल गांधी) घायलों के पास ले जाया गया, तो उनका हालचाल पूछना भी जरूरी नहीं समझा. वह मांगना तो भूल ही गए, उनके चेहरे पर अहंकार साफ दिख रहा था…उनका (राहुल गांधी) बयान था कि धक्का-मुक्की तो होती रहती है. इससे यह साफ होता है कि उनकी सोच यह है कि आप किसी के साथ कुछ भी कर लो, हमें कुछ नहीं होने वाला है.”